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Friday, March 8, 2019

पादप हार्मोन (Plant -Harmon )


पादप हार्मोन व रासायनिक पदार्थ है जो पादपों में वृद्धि और अन्य जैविक क्रियाओं का नियंत्रण करते हैं ।  इन्हें फाइटोहार्मोस वृद्धि नियंत्र भी कहा जाता है।

 मुख्य पादप हार्मोन कुछ इस प्रकार से है –

  • ऑक्सिन यह हार्मोन शीर्षस्थ प्रभाविता को  बढ़ावा  देता है ।  यह हार्मोन पादपों में  मूल -निर्माण को प्रेरित करता है।  यह हार्मोन पादप में पत्तियों के गिरने को रोकता है तथा यह हार्मोन बीज रहित फलों के निर्माण को भी प्रेरित करता है ।
  • जिबरेलिन- यहां हार्मोन बीजों की प्रसुसुप्ता-अवस्था को खत्म करता है तथा बीजों के अंकुरण को प्रेरित करता है ।  यहां हार्मोन बने पौधों की लंबाई को बढ़ाने में भी सहायक है ।  
  • साइटोकिनिन- यहां हार्मोन कोशिका विभाजन के लिए उत्तरदाई होता है।  यहां हार्मोन पादपों की जीर्ण - अवस्था को दूर करने में सहायक है ।
  • एथिलीन- यहां एक गैसीय -फाइटोहार्मोस है जो पादपों में फलों को पकाने के लिए उत्तरदाई होता है। 
  • एबसिसिक  अम्ल - यहां एक वृद्धि निरोधक हार्मोन है।  पादपों में बीजों की प्रसुसुप्ता -अवस्था को प्रेरित करता है ।  यहां पादपों के भागों की जीर्ण –अवस्था को प्रेरित करता है तथा बीजों के अंकुरण को कम करता है । यह हार्मोन पादपों में ठंडे वातावरण के प्रति प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है यह हार्मोन पत्तियों में पाए जाने वाले स्टोमेटा को बंद करके वाष्पोत्सर्जन की क्रिया को कम करता है ।


Thursday, March 7, 2019

पादपों में संवहन (Transportation in Plants )


पादपों में भी  विभिन्न पदार्थों का संवहन होता है
 पादपों में जल व खनिज का संवहन जाइलम  द्वारा किया जाता है जाइलम में संवहन की दिशा जड़ से  पादपों के वायवीय  भागों की ओर होती है ।
 पत्तियों में बना भोज्य पदार्थ फ्लोएम द्वारा पौधे के अन्य भागों में जाता है

 पादपों में रसारोहण (Ascent of Sap)-

जड़ों द्वारा अवशोषित जल तथा खनिज पदार्थों का जाइलम में  ऊपर की ओर चढ़ना रसारोहण कहलाता है।“

 रसारोहण की प्रक्रिया-     रसारोहण की प्रक्रिया को डिक्सन व जोली के “वाष्पोत्सर्जन-आकर्षण एवं  ससंजन आसंजन मत” (Transpiration-pull & cohesion-adhesion theory) द्वारा समझाया जा सकता है ।
 इस सिद्धांत के अनुसार जब रसारोहण की क्रिया होती है तो पादपों में जाइलम वाहिकाओं में जल का एक स्तंभ (Water-column) बन जाता है.
 यह जल स्तंभ वाहिकाओं में दो बलों के कारण स्थाई रहता है. जिनमें से एक  जल के अणुओं के मध्य लगने वाला “संजन आकर्षण बल” है।  जबकि दूसरा बल् जल के अणु तथा जाइलम वाहिकाओं की दीवारों के मध्य लगने वाला “आसंजक आकर्षण बल” है. इन दोनों बलों के कारण ही जाइलम वाहिकाओं में जल का स्तंभ बना रहता है.
वाष्पोत्सर्जन की क्रिया में जब जल के अणु वातावरण में पत्तियों के रंध्रों  द्वारा मुक्त होते हैं तो यह अपने पीछे के अणुओं में खिंचाव  उत्पन्न करते हैं जिसे “वाष्पोत्सर्जन आकर्षण खिंचाव” कहते हैं।  यह खिंचाव जल स्तंभ पर लगता है और उसे  ऊपर की ओर खींचता है इस प्रकार जल ऊपर की ओर चढ़ता चला जाता है । इस प्रकार पादपों में जल तथा खनिज पदार्थ जाइलम वाहिकाओं में ऊपर की ओर चलते रहते हैं इसे रसारोहण कहते हैं.