Tuesday, March 12, 2019

ह्रदय स्पंदन और हृदय -चक्र (Heart-beat and Cardiac-cycle)

मानव हृदय पेशी-चालित (Mayo-genic) होता है। हृदय जब एक बार भ्रूण-काल स स्पंदन करना आरंभ करता  है तो जीवनपर्यंत रुधिर को पंप करता रहता है ।
हृदय –स्पंदन की शुरुआत दायें अलिंद मे स्थित सायनो-एट्रियल-नोड (SA-Node) से होती है । इसे पेस-मेकर भी कहा जाता है । यहाँ से स्पंदन बाएँ अलिंद में फिर  एट्रिओ –वेंट्रिकुलर नोड (AV-node) तक पहुंचता है। AV नोड से स्पंदन ,बंडल आफ हिस (A V बंडल) व पुरकींजे –सूत्रों से होता हुआ निलय की दीवारों में फैल जाता है ।
हृदय की पेशियों का सिकुडना “प्रकुंचन(Systole)” व फैलना “अनुशीथलन(Diastole)” कहलाता है ।  
हृदय एक मिनट में 72 बार स्पंदित होता है ,इसे हृदय स्पंदन की दर कहते है ।

हृदय –चक्र (Cardiac-cycle) – हृदय –चक्र एक हृदय-स्पंदन में अलिंद व निलय में होने वाले प्रकुंचन व अनुशीथलन के निश्चित क्रम को दर्शाता है । 
हृदय –चक्र में क्रमबद्ध होने वाली क्रियाओं में सम्मिलित अनुशीथलन ,अलिंद प्रकुंचन ,निलय प्रकुंचन व निलय अनुशीथलन है ।
  • सम्मिलित अनुशीथलन (Joint Diastole ) –यह हृदय –स्पंदन के आरंभ होने से ठीक पहले की अवस्था है जिसमे अलिंद व निलय अनुशीथलन में होते है । इसमें शिराओं से रुधिर ,अलिंद में आ रहा होता है ।
  • अलिंद-प्रकुंचन (Atrial –Systole )- इस प्रक्रिया में SA नोड से स्पंदन आरंभ हो केआर बाएँ अलिंद तक फैल जाता है व शिराओं के कपाट बंद हो जाते है तथा त्रिवलन व द्विवलन कपाट खुल जाते हैं और रुधिर अलिंदों से निलयों में आ जाता है ।
  • निलय-प्रकुंचन (Ventricular –Systole)-अलिंद –प्रकुंचन के बाद निलय-प्रकुंचित होता है जिसमें अलिंद-निलय कपाट तो बंद हो जाते है किन्तु निलय में रुधिर –दाब के बढ्ने के कारण अर्ध-चंद्राकार कपाट(Semilunar-valve) खुल जाते हैं और रुधिर दायेँ  निलय से पलमोनर-चाप व बाएँ निलय से केरोटिको –सिस्टेमिक चाप में प्रवेश कर जाता है ।
  •  निलय अनुशीथलन ( Ventricular Diastole) –निलय संकुचन के बाद निलय अनुशीथलन होता है और अर्धचंद्राकार –कपाट बंद हो जाते हैं ।


हृदय –ध्वनियाँ (Heart -Sounds)– स्टेथोस्कोप से हृदय –स्पंदन के समय हृदय –ध्वनियाँ सुनाई देती हैं । प्रथम ध्वनि “lub” होती है जो निलय –प्रकुंचन के समय अलिंद –निलय कपाट बंद होने के कारण उत्पन्न होती है । जबकि दूसरी ध्वनि “dup” होती है निलय अनुशीथलन के समय अर्धचंद्राकार –वाल्व के बंद होने के कारण उत्पन्न होती है ।

हृदय स्पंदन का नियमन (Regulation of heart beat) – स्पंदन ,हृदय –पेशियों का जन्मजात गुण है । हृदय-स्पंदन का नियंत्रण केंद्र पश्च –मस्तिष्क (Hind-brain) का “मेड्यूला –ओब्लंगेटा” होता है । परानुकंपी-तंत्रिका –तंत्र (PNS) हृदय स्पंदन की दर को कम करता है जबकि अनुकंपी तंत्रिका तंत्र (ANS) हृदय स्पंदन की दर को तीव्र करता है ।  हृदय स्पंदन की दर पर अधिवृक्क ग्रंथि (Adrenal gland) से निकलने वाले हार्मोन एपिनेफ्रीन व नॉर-एपिनेफ्रीन का भी प्रभाव पड़ता है । एपीनेफ्रीन आपात –काल की स्थिति में हृदय-स्पंदन की दर को तीव्र करता है जबकि नॉर-एपिनेफ्रीन सामान्य स्थिति में हृदय-स्पंदन को तीव्र करता है । 

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