Thursday, January 20, 2022

जैव प्रक्रम (Biological Process) :श्वसन (Respiration)

 श्वसन (Respiration): वह प्रक्रिया जिसके द्वारा कोई जीव भोजन का उपयोग ऊर्जा प्राप्त करने के लिए करता है, श्वसन कहलाती है।

 श्वसन एक ऑक्सीकरण अभिक्रिया  है जिसमें ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए कार्बोहाइड्रेट का ऑक्सीकरण होता है।  कोशिका में यह अभिक्रिया  माइटोकॉन्ड्रिया  में होती है तथा उत्पन्न  ऊर्जा एटीपी (एडेनोसिन ट्राइफॉस्फेट) के रूप में संग्रहीत होती है। 

         C6H12O6 (s) + 6 O2 (g) → 6 CO2 (g) + 6 H2O (l) +  36 ATP 

एटीपी माइटोकॉन्ड्रिया में संग्रहित होते हैं  और आवश्यकता के अनुसार उपयोग में लाएं जाते हैं।  

कोशिका में कार्बोहाइड्रेट का आक्सीकरण "कोशिकीय श्वसन (Cellular Respiration) " कहलाता है.  

कोशिकीय श्वसन ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया (Exothermic Reaction) है।  


श्वसन में दो प्रक्रियाएं होती हैं - 

 1- गैसीय विनिमय (Gaseous Exchange): वायुमंडल से ऑक्सीजन का सेवन और कार्बन डाई आक्साइड का विमोचन 

 2- कोशिकीय श्वसन (Cellular Respiration) : इसमें ग्लूकोस का आक्सीकरण होता है जिसके फलस्वरूप ऊर्जा उत्पन्न होती है।  


श्वसन दो प्रकार का होता है। 



1-वायवीय या ऑक्सी -श्वसन Aerobic Respiration : इस प्रकार का श्वसन ऑक्सीजन की उपस्थिति में होता है। इस में ग्लूकोस (C6H12O6)का पूर्ण आक्सीकरण होता है तथा कार्बन डाइऑक्साइड और जल बनते हैं।

  इस प्रक्रिया के अंत में  36 ATP के रूप में ऊर्जा निकलती है और पानी के अणु भी बनते हैं। 

   

            C6H12O6 (s) + 6 O2 (g) → 6 CO2 (g) + 6 H2O (l) +  36 ATP 




 2-अवायवीय या अनाक्सी  श्वसन Anaerobic Respiration: इस प्रकार का श्वसन ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होता है। इस में ग्लूकोस का अपूर्ण आक्सीकरण होता है तथा एथिल अल्कोहोल ( C2H5OH ) व कार्बन डाई आक्साइड  बनते  है। यह यीस्ट ,जीवाणु आदि जैसे सूक्ष्म जीवों में पाया जाता  है।  


                C6H12O6 (s)  → C2H5OH    +    2 CO2 (g) + 2 ATP  



कोशिकीय श्वसन (Cellular Repiration) -

इस प्रक्रिया में कोशिका में ग्लूकोस का आक्सीकरण होता है। 

इसके दो चरण होते हैं - 

1-ग्लाइकोलाइसिस (Glycolysis) - इस चरण में  6  कार्बन वाले ग्लूकोस  का विखंडन ,3  कार्बन वाले यौगिक -पाइरुविक अम्ल में होता  है।  यह क्रिया कोशिका के कोशिका द्रव्य में होती है।  

2-क्रेब्स चक्र(Krebs Cycle) -इस चरण में आक्सीजन की उपस्थिति में पाइरुविक अम्ल का आक्सीकरण होता है। जिसके फलस्वरूप जल व कार्बन डाई आक्साइड बनते हैं।   यह प्रक्रिया माइटोकॉन्ड्रिया में होती है।  

    ग्लाइकोलिसिस व क्रेब्स चक्र से  ग्लूकोस के आक्सीकरण से 36  ए टी पी के रूप में ऊर्जा प्राप्त होती है।   


अगर आक्सीजन उपलब्ध नहीं होती है तो पाइरुविक अम्ल का आक्सीकरण दो प्रकार से होता है - 

1-यीस्ट में -यीस्ट व कुछ जीवाणु में पाइरुविक अम्ल से एथेनॉल (एथिल अल्कोहल ) व कार्बन डाई आक्साइड बनते हैं।  

2-हमारी मांसपेशियों में-लगातार शारीरिक अभ्यास के समय आक्सीजन की पूर्ती लगातार नहीं हो पाती है तब मांसपेशियों में पाइरुविक अम्ल से लेक्टिक अम्ल बनता है।  जिसके जमाव से हमको थकान व दर्द होता है।   कुछ समय बाद लैक्टिक  पुनः पाइरुविक अम्ल में परिवर्तित हो जाता है और फिर आक्सीजन की उपस्थिति में इसका आक्सीकरण होता है।  





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