Monday, January 24, 2022

मानव श्वसन तंत्र Human Respiratory System

 मानव  श्वसन तंत्र में निम्नलिखित अंग  पाए जाते।  हैं।  

 नासिका व  नासा-द्वार (Nose & Nostrils )  - मानव के चेहरे  पर  एक नासिका पायी   जाती  हैं और इसमें   जोड़ी नासा छिद्र  पाए जाते। हैं।  नासा-द्वार अपनी अपनी ओर के नासा-मार्ग में खुलते हैं।  

 नासा मार्ग की तन्त्रिका संवेदी (neuro-sensory) उपकला को श्नीडेरियन कला (Schneiderian membrane) कहते हैं। यह गन्ध का ज्ञान कराती है। 

इसमें श्लेष्म स्नावित करने वाली कोशिकाएँ तथा रोमाभियुक्त कोशिकाएँ भी होती हैं। 

 नासा मार्ग आन्तरिक नासाद्वार (internal nares) द्वारा ग्रसनी के नासा ग्रसनी (Naso-Pharynx) भाग में खुलता है।  


ग्रसनी (Pharynx) - इस भाग में नासा मार्ग तथा मुख गुहिका दोनों खुलते हैं। नासाग्रसनी (nasopharynx) कण्ठद्वार (glottis) द्वारा वायु नाल में खुलता है।


स्वर यन्त्र (Larynx) - यह श्वास नाल का सबसे ऊपरी भाग है। स्वर यन्त्र में वाक् रज्जु (vocal chords) होते हैं। वाक् रज्जुओं में कम्पन होने से ध्वनि उत्पन्न होती है। स्वर यन्त्र उपास्थियों से बना होता है।  

वायुनाल या ट्रैकिया (Wind-Pipe or Trachea) – वायुनाल ग्रीवा से होकर वक्ष गुहा में प्रवेश करती है। वायुनाल की भित्ति में भी उपास्थि के बने 'C' के आकार के छल्ले होते हैं, जो इसकी भित्ति को पिचकने से रोकते हैं।


श्वसनी (Bronchus)-वक्षगुहा में प्रवेश करने के पश्चात् वायुनाल दो श्वसनियों (bronchi) में विभाजित हो जाती है। श्वसनी की भित्ति में भी उपास्थीय छल्ले पाए जाते हैं। दोनों श्वसनियाँ अपनी-अपनी ओर के फेफड़े में प्रवेश करके अनेक शाखाओं तथा उपशाखाओं में विभाजित हो जाती हैं।




फेफड़े (फुफ्फुस) (Lungs)   -   फेफड़े मानव का मुख्य  श्वसनांग है। मानव के शरीर में एक जोड़ा फेफड़े होते हैं।  ये वक्ष -गुहा में स्थित दोहरी झिल्ली से  घिरे होते हैं। जिनको प्लुरल झिल्ली (Pleural membrane ) कहते।  हैं।  इनसे प्लुरल गुहा (Pleural cavity )बनती है जिसमें फेफड़े  होते हैं। इसमें प्लुरल द्रव्य (Pleural fluid)  पाया जाता है।

मनुष्य के फेफड़े गुलाबी रंग के कोमल, स्पंजी और लोचदार अंग होते हैं।  प्रत्येक फेफड़ा बाहरी रूप से पालियों (लोब lobes) में विभाजित होता है। बायाँ फेफड़ा दो पालियों में विभाजित होता है जबकि दायां फेफड़ा तीन पालियों में विभाजित होता है।  



प्रत्येक प्राथमिक ब्रोन्कस अपने संबंधित फेफड़े में प्रवेश करने के बाद द्वितीयक ब्रांकाई में विभाजित हो जाता है। द्वितीयक ब्रांकाई  आगे छोटी तृतीयक ब्रांकाई में विभाजित होती है जो अभी भी छोटे ब्रोन्किओल्स में विभाजित होती है। ब्रोन्किओल्स वायुकोशीय नलिकाओं में  विभाजित रहती हैं।  वायुकोशकीय नालिकाओं के सिरे वायु-कोषों (Alveoli) में खुलते हैं । वायुकोष (एल्वियोली )अंगूर के गुच्छों की तरह दिखाई देती है। एल्वियोली की दीवारें बेहद पतली होती हैं और रक्त केशिकाओं से ढकी होती हैं।  एल्वियोली में रक्त और वायु के बीच गैसों का आदान-प्रदान होता है।   




No comments: