श्वासोच्छ्वास (Breathing)

श्वासोच्छ्वास (Breathing)  - मानव में सांस लेने की प्रक्रिया को  श्वासोच्छ्वास कहते हैं। 

  इसमें दो चरण होते हैं - अन्तः -श्वसन ( Inspiration)   व निः श्वसन (Expiration)   

अन्तः -श्वसन ( Inspiration)वह प्रक्रिया जिसमें मानव द्वारा वायु को  फेफड़ों में भरा जाता है ,अन्तः श्वसन कहलाती है।   

निः श्वसन (Expiration)    -  वह प्रक्रिया जिसमें मानव द्वारा वायु को  फेफड़ों  से बाहर निकाला जाता  है ,    निः श्वसन कहलाती है।  

श्वासोच्छ्वास की क्रिया कैसे  होती है ?

श्वासोच्छ्वास की क्रिया  डायफ्राम (Diaphragm) ,पसलियों (Ribs) ,स्टर्नम (Sternum) तथा एक्सटर्नल -इंटरकॉस्टल पेशियाँ (External -intercoastal muscles)व इंटरनल -इंटरकॉस्टल  पेशियों (Internal -intercoastal muscles) की गतियों के कारण होती हैं।


अन्तः -श्वसन ( Inspiration)- 
श्वसन के समय एक्सटर्नल -इंटरकॉस्टल पेशियाँ (External -intercostal muscles) सकुडती हैं और  पसलियां  (Ribs) और स्टर्नम (Sternum)  बाहर की ओर खिसकती हैं  तथा डायफ्राम चपटा हो जा ता है।  इसके कारण वक्ष गुहा का आयतन बढ़ जाता है और हमारे फेफड़े भी फैलते हैं जिससे उनके भीतर वायु -दाब काम हो जाता है और की वायु बाहर से अपने आप  फेफड़ों   भर जाती है।  इस प्रकार अन्तः श्वसन की प्रक्रिया होती है।  

निः श्वसन (Expiration) - नि :श्वसन के समय इंटरनल  -इंटरकॉस्टल पेशियाँ (Internal -intercoastal muscles)  सकुडती हैं और डायफ्राम ,पसलियों ,स्टर्नम  तथा एक्सटर्नल -इंटरकॉस्टल पेशियाँ  अपनी पूर्व अवस्था में आ जाते हैं। इस समय डायफ्राम गुम्बद के आकर जैसा हो जाता है जिससे वक्ष -गुहा का आयतन कम हो जाता है और फेफड़ों पर दबाब पड़ता है और वो पिचकते है जिसके कारण वायु बाहर निकल जाती है।  

  इस प्रकार मानव में श्वासोच्छ्वास की प्रक्रिया होती है।  

 


  

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