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श्वासोच्छ्वास (Breathing)

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श्वासोच्छ्वास (Breathing)  - मानव में सांस लेने की प्रक्रिया को  श्वासोच्छ्वास कहते हैं।    इसमें दो चरण होते हैं - अन्तः -श्वसन ( Inspiration)   व निः श्वसन (Expiration)    अन्तः -श्वसन ( Inspiration) -  वह प्रक्रिया जिसमें मानव द्वारा वायु को  फेफड़ों में भरा जाता है ,अन्तः श्वसन कहलाती है।    निः श्वसन (Expiration)     -   वह प्रक्रिया जिसमें मानव द्वारा वायु को  फेफड़ों  से बाहर निकाला जाता  है ,    निः श्वसन कहलाती है।   श्वासोच्छ्वास की क्रिया कैसे  होती है ? श्वासोच्छ्वास की क्रिया  डायफ्राम (Diaphragm) ,पसलियों (Ribs) ,स्टर्नम (Sternum) तथा एक्सटर्नल -इंटरकॉस्टल पेशियाँ (External -intercoastal muscles)व इंटरनल -इंटरकॉस्टल  पेशियों (Internal -intercoastal muscles) की गतियों के कारण होती हैं। अन्तः -श्वसन ( Inspiration)-  श्वसन के समय एक्सटर्नल -इंटरकॉस्टल पेशियाँ (External -intercostal muscles) सकुडती हैं और  पसलियां  (Ribs) और स्टर्...

मानव श्वसन तंत्र Human Respiratory System

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  मानव  श्वसन तंत्र में निम्नलिखित अंग  पाए जाते।  हैं।     नासिका व  नासा-द्वार (Nose & Nostrils )   - मानव के चेहरे  पर  एक नासिका पायी   जाती  हैं और इसमें   जोड़ी नासा छिद्र  पाए जाते। हैं।  नासा-द्वार अपनी अपनी ओर के नासा-मार्ग में खुलते हैं।    नासा मार्ग की तन्त्रिका संवेदी (neuro-sensory) उपकला को श्नीडेरियन कला (Schneiderian membrane) कहते हैं। यह गन्ध का ज्ञान कराती है।  इसमें श्लेष्म स्नावित करने वाली कोशिकाएँ तथा रोमाभियुक्त कोशिकाएँ भी होती हैं।   नासा मार्ग आन्तरिक नासाद्वार (internal nares) द्वारा ग्रसनी के नासा ग्रसनी (Naso-Pharynx) भाग में खुलता है।   ग्रसनी (Pharynx) - इस भाग में नासा मार्ग तथा मुख गुहिका दोनों खुलते हैं। नासाग्रसनी (nasopharynx) कण्ठद्वार (glottis) द्वारा वायु नाल में खुलता है। स्वर यन्त्र (Larynx) - यह श्वास नाल का सबसे ऊपरी भाग है। स्वर यन्त्र में वाक् रज्जु (vocal chords) होते हैं। वाक् रज्जुओं में कम्पन होने से ध्वनि उत्पन्न ह...

जैव प्रक्रम (Biological Process) :श्वसन (Respiration)

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  श्वसन (Respiration) : वह प्रक्रिया जिसके द्वारा कोई जीव भोजन का उपयोग ऊर्जा प्राप्त करने के लिए करता है, श्वसन कहलाती है।  श्वसन एक ऑक्सीकरण अभिक्रिया  है जिसमें ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए कार्बोहाइड्रेट का ऑक्सीकरण होता है।  कोशिका में यह अभिक्रिया  माइटोकॉन्ड्रिया  में होती है तथा उत्पन्न  ऊर्जा एटीपी (एडेनोसिन ट्राइफॉस्फेट) के रूप में संग्रहीत होती है।             C 6 H 12 O 6 (s) + 6 O 2 (g) → 6 CO 2 (g) + 6 H 2 O (l) +  36 ATP   एटीपी माइटोकॉन्ड्रिया में संग्रहित होते हैं  और आवश्यकता के अनुसार उपयोग में लाएं जाते हैं।   कोशिका में कार्बोहाइड्रेट का आक्सीकरण "कोशिकीय श्वसन (Cellular Respiration) " कहलाता है.   कोशिकीय श्वसन ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया (Exothermic Reaction) है।   श्वसन में दो प्रक्रियाएं होती हैं -   1- गैसीय विनिमय (Gaseous Exchange) : वायुमंडल से ऑक्सीजन का सेवन और कार्बन डाई आक्साइड का विमोचन   2- कोशिकीय श्वसन (Cellu...

मानव पाचन तंत्र व भोजन का पाचन ( Human Digestive System and Digestion of food)

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   मानव पाचन तंत्र एक आहार नाल और कुछ सहायक ग्रंथियों से बना होता है।  आहार नाल - मानव की आहार नाल मुख से गुदा तक विस्तृत रहती है।   इसके प्रमुख भाग हैं - मुख ,ग्रसनी ,ग्रास नली , आमाशय , क्षुद्रांत्र ,वृदांत्र।          मानव पाचन तंत्र                                                               1-मुंख व मुखगुहा (Mouth and Buccal Cavity )  : मुख द्वार से  भोजन को ग्रहण  किया जाता है।  मुख-द्वार होंठो से बंद होते हैं।  हमारे गालो के भीतर का खाली स्थान मुखगुहा कहा जाता है।   मुंख गुहा में दांत , जीभ या जिह्वा  व लार ग्रंथिया  होती है।    जिह्वा (जीभ) (Tongue)    - जिह्वा (जीभ)  में स्वाद रिसेप्टर्स होते हैं जो भोजन के स्वाद की पहचानने का कार्य करते  हैं। ये भोजन में लार को मिलाने का कार्य करती है।  दां...

पोषण (Nutrition)

पोषण (Nutrition)    वह प्रक्रिया जिसके द्वारा कोई जीव भोजन ग्रहण करता है और उसका उपयोग करता है, पोषण कहलाती है। पोषण की आवश्यकता: जीवों को विभिन्न गतिविधियों को करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। ऊर्जा की आपूर्ति पोषक तत्वों द्वारा की जाती है। जीवों को वृद्धि और मरम्मत के लिए विभिन्न पदार्थों की  आवश्यकता होती है जो  पोषक तत्वों द्वारा प्रदान किए जाते हैं। पोषक तत्व: वे पदार्थ जो जीवों को पोषण प्रदान करते हैं, पोषक तत्व कहलाते हैं। कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा मुख्य पोषक तत्व हैं और वृहद् पोषक तत्व  कहलाते हैं। खनिजों और विटामिनों की कम मात्रा में आवश्यकता होती है और इसलिए उन्हें सूक्ष्म पोषक तत्व कहा जाता है। पोषण के तरीके 1. स्वपोषी पोषण 2. विषमपोषी पोषण स्वपोषी पोषण (Autotrophic Nutrition) - पोषण की वह विधि जिसमें जीव अपना भोजन स्वयं तैयार करता है स्वपोषी पोषण कहलाता है। हरे पौधे और नीले-हरे शैवाल पोषण के स्वपोषी तरीके का पालन करते हैं। वे जीव जो स्वपोषी पोषण करते हैं, स्वपोषी (Autotrophs)  कहलाते हैं। सभी हरे पेड़ -पौंधे स्वपोषी हैं।   स्...

अमीबा में पोषण (Nutrition in Amoeba)

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   अमीबा एककोशिकीय प्राणी है जिसमे  जंतु -सम पोषण ( Holozoic Nutrition ) विधि पायी जाती  है। अमीबा एककोशिकीय प्राणी है। अमीबा की कोशिका झिल्ली कूटपादों (Pseudopodia ) का निर्माण करती रहती है। कूटपाद अमीबा को चलन में सहायता करते हैं। अमीबा एक खाद्य कण को ​​कूटपादों से घेर लेता है और खाद्य - रिक्तिका (Food-vacuole) बनाता है। जिसमें भोजन के कण और पानी होते हैं। खाद्य रिक्तिका में लाइसोसोम में पाचक एंजाइम स्रावित होते हैं और पाचन होता है। उसके बाद, पचे हुए भोजन को खाद्य - रिक्तिका से जीवद्रव्य में अवशोषित किया जाता है। अंत में, खाद्य - रिक्तिका कोशिका झिल्ली के पास चली जाती है और वहाँ से अपचित भोजन को बाहर निकाल दिया जाता है। Nutrition in Amoeba                                                 

जंतुओं में पोषण (Nutrition in Animals)

  जंतु -सम पोषण  विधि ( Holozoic Nutrition) - जंतु -सम पोषण  विधि  में, भोजन का पाचन भोजन के अंतर्ग्रहण के बाद होता है। इस प्रकार, जीव के शरीर के अंदर पाचन होता है।  इसके निम्नलिखित चरण हैं - अंतर्ग्रहण (Ingestion): भोजन में लेने की प्रक्रिया को अंतर्ग्रहण कहा जाता है। पाचन (Digestion): जटिल खाद्य पदार्थों को सरल अणुओं में तोड़ने की प्रक्रिया को पाचन कहा जाता है। इस प्रकार प्राप्त सरल अणुओं को शरीर द्वारा अवशोषित किया जा सकता है। अवशोषण (Absorption) : पाचन  के उपरान्त सरल पोषक पदार्थों का  रुधिर में प्रवेश की  प्रक्रिया को अवशोषण कहते हैं। स्वांगीकरण (Assimilation) : रुधिर से कोशिकाओं में सरल पोषक पदार्थों का प्रवेश व   उनका  ऊर्जा  , वृद्धि और ऊतकों के निर्माण एवं  मरम्मत  के लिए उपयोग की प्रक्रिया को स्वांगीकरण  कहा जाता है। बहिःक्षेपण (Egestion): अपचित भोजन को शरीर से बाहर निकालने की प्रक्रिया को बहिःक्षेपण कहते हैं।